जानिए पितृ दोष के लक्षण और निवारण के उपाय

जानिए पितृ दोष के लक्षण और निवारण के उपाय

कुंडली में नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य एवं राहू जिस भी भाव में बैठे होते है, उस भाव के समस्त फल नष्ट हो जाते है। मनुष्य की कुंडली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों एवं पीड़ाओ को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।

कुन्डली का नया घर धर्म का घर कहलाता है, यह पिता का घर भी होता है, अगर किसी प्रकार से नया घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी, जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं, लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं, नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की दुविधा में रहता है, उसका शिक्षण पूरा नही हो पाता है, वह जीविका के लिये तरसता है, वह किसी न किसी प्रकार से दिमागी अथवा शारीरिक रूप से अपंग हो जाता है।


अगर किसी भी प्रकार से नया भाव या नये भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित हो तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के लक्षणों में आ जाता है।

पितृ दोष के निवारण हेतु यह उपाय

सोमवती अमावस्या के दिन ( जिस दिन अमावस्या को सोमवार हो) नजदीक के पीपल के पेड के समीप जाइये, उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये एवं एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये, पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये, हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त : ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ” इस  मंत्र का जाप निरंतर करते जाइये। और परिक्रमा पूरी करने के तुरंत  बाद फ़िर से पीपल के वृक्ष और भगवान विष्णु के लिये भी प्रार्थना कीजिये और जो भी जानकर या  अनजाने  में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है।

राहू गृहऔर भी एक उपाय है जो कौओं एवं मछलियों को चावल तथा घी मिलाकर बनाये हुए लड्डू हर शनिवार को दीजिये। पितर दोष जो हो तो किसी भी प्रकार की सिद्धि को नहीं आने देता है। सफ़लता कोशों दूर रहती है और व्यक्ति केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति माता काली का उपासक है तो किसी भी प्रकार का दोष उसकी जिन्दगी से दूर रहता है। लेकिन पितर जो कि व्यक्ति की अनदेखी के कारण या अधिक आधुनिकता के प्रभाव के कारण पिशाच योनि मे प्रवेश कर जाते है, वे हमेशा दुःखी ही रहते है, उनके इस तरह से दुखी रहने का कारण मुख्य यह माना जाता है कि उनके ही खून के होनहार उन्हे भूल गये है और उनकी उनके ही खून के द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है। पितर दोष हर व्यक्ति को परेशान कर सकता है इसलिये इसका निवारण बहुत जरूरी है।

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